संसाधनों का विकास और नियोजन ( उपयोग) , एजेंडा 21 (Agenda 21)

 संसाधनों का विकास और नियोजन ( उपयोग)

मनुष्य के जीवन यापन के लिए अति आवश्यक जिस प्रकार संसाधन है ठीक उसी प्रकार जीवन की गुणवत्ता बनाए रखना भी महत्वपूर्ण है। हमारी हमेशा ऐसी धारणा रही कि संसाधन प्रकृति की देन है परिणाम स्वरूप हमने उन संसाधनों का अंधाधुंध उपयोग किया जिससे कि कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न हो गई। प्रकृतिक संसाधन पर सभी व्यक्तियों का समान अधिकार होना चाहिए तू ऐसा नहीं हुआ लालच में संसाधनों का उपयोग संसाधन समाज के कुछ ही लोगों के हाथ में आ गए जिससे समाज दो हिस्सों में संसाधन संपन्न एवं संसाधन हीन  में बट गया।

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संसाधनों के अंधाधुन उपयोग से वैश्विक पारिस्थितिकी तंत्र में कई प्रकार के संकट उत्पन्न हो गए जैसे भूमंडलीय ताप वृद्धि ओजोन परत का नष्ट होना पर्यावरण प्रदूषण और भी कई प्रकार की समस्याएं हैं जिनसे वर्तमान में हम जूझ  रहे हैं।मानव जीवन की गुणवत्ता और विश्व शांति बनाए रखने के लिए इन संसाधनों का समाज में न्याय संगत बटवारा आवश्यक हो गया है यदि कुछ ही व्यक्तियों तथा देशों द्वारा संसाधनों का वर्तमान में दोहन जारी रहता है तो हमारी पृथ्वी का भविष्य खतरे में पड़ सकता है। इसीलिए हर तरह के जीवन का अस्तित्व बनाए रखने के लिए संसाधनों के उपयोग की योजना बनाना अति आवश्यक है।

रियो डी जेनेरो पृथ्वी सम्मेलन 1992

कि हम अभी तक समझ चुके हैं कि अगर इसी प्रकार संसाधनों का दोहन जारी रहता है तो हमारा अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा इसी को ध्यान में रखते हुए जून 1992 में 100 से भी अधिक देशों के राष्ट्रीय अध्यक्ष ब्राजील के शहर रियो डी जेनेरो में अंतर्राष्ट्रीय पृथ्वी सम्मेलन में एकत्र होते हैं।सम्मेलन का आयोजन विश्व स्तर पर उभरते पर्यावरण संरक्षण को सामाजिक आर्थिक विकास की समस्याओं का हल ढूंढने के लिए किया गया था इसे प्रथम पृथ्वी सम्मेलन भी कहते हैं इस सम्मेलन में एकत्रित नेताओं ने भूमंडलीय जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता पर एक घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किया और रियो सम्मेलन में भूमंडलीय 1 सिद्धांतों पर सहमति जताई और 21वीं शताब्दी में सतत पोषणीय विकास के लिए एजेंडा 21 को स्वीकृति प्रदान की। 




एजेंडा 21

यह एक प्रकार का घोषणा पत्र है जिसे 1992 में ब्राजील के शहर रियो डी जेनेरो में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण और विकास सम्मेलन जो एनसीएडी के तत्वधान में राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा स्वीकृत किया गया था इसका उद्देश्य भूमंडलीय सतत पोषणीय विकास हासिल करना है यह एक कार्यसूची है जिसका उद्देश्य समान हितों पारस्परिक आवश्यकताओं एवं सम्मिलित जिम्मेदारियों के अनुसार विश्व सहयोग के द्वारा पर्यावरणीय क्षति दीदी और रोगों से निपटना है एजेंडा 21 का मुख्य उद्देश्य है कि प्रत्येक स्थानीय निकाय अपना स्थानीय एजेंडा 21 तैयार करें और उसके अनुसार अपने क्षेत्र में कार्य करें।

सतत पोषणीय विकास

सतत पोषणीय आर्थिक विकास का अर्थ है कि विकास पर्यावरण को बिना नुकसान पहुंचाए हो और वर्तमान विकास की प्रक्रिया भविष्य की पीढ़ियों की आवश्यकताओं की पूर्ति में बाधा उत्पन्न ना करें।

संसाधनों का नियोजन या उपयोग

संसाधनों के विवेकपूर्ण उपयोग के एक विशेष रणनीति पर कार्य किया जाना है यह इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि भारत जैसे देश में जहां संसाधनों की उपलब्धता में बहुत अधिक विविधता है।ऐसे प्रदेश भी है जहां किसी एक तरह के संसाधनों की उपलब्धता प्रचुर मात्रा में है तो दूसरी ओर किसी विशेष संसाधन की कमी कुछ ऐसे प्रदेश भी है जहां संसाधनों की उपलब्धता के संदर्भ में आत्मनिर्भर है और कुछ ऐसे भी प्रदेश है जहां संसाधन नाम मात्र के उदाहरण के लिए झारखंड मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे प्रदेशों में खनिजों और कोई रोके प्रचुर मात्रा में भंडारे अरुणाचल प्रदेश में जल संसाधन बहुत अधिक है  ।परंतु वहां सामाजिक ढांचे के विकास के कमी है ठीक उसी प्रकार राजस्थान में पवन और सौर ऊर्जा जैसे संसाधनों की कमी नहीं है लेकिन जल संसाधन राजस्थान में बहुत कम है उसी प्रकार लद्दाख को ठंडा मरुस्थल भी कहते हैं यहां पर भी जल संसाधन की बहुत कमी है।

इसलिए राष्ट्रीय प्रांतीय प्रादेशिक और स्थानीय स्तर पर संतुलित संसाधन नियोजन की आवश्यकता रहती है।


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