संसाधन एवं संसाधनों के प्रकार

संसाधन एवं विकाश 


  हमारे पर्यावरण में उपलब्ध प्रत्येक वस्तु जो हमारी आवश्यकताओं को पूरा करने में प्रयुक्त की जा सकती है व जिन को बनाने के लिए हमारे पास प्रौद्योगिकी या टेक्नोलॉजी उपलब्ध है, जो आर्थिक रूप से संभव और सांस्कृतिक रूप से मान्य है ,एक संसाधन है। हम में से बहुत लोग संसाधनों को प्रकृति का उपहार समझते हैं परंतु ऐसा नहीं है संसाधन मानव क्रियाओं का परिणाम है, मानव स्वयं संसाधनों का महत्वपूर्ण हिस्सा है।  हम पर्यावरण में पाए जाने वाले पदार्थों को संसाधनों में परिवर्तित करते हैं तथा इन्हें प्रयोग करते हैं।



संसाधनों को निम्न प्रकार से वर्गीकृत किया जा सकता है

  • उत्पत्ति के आधार पर
  • स्वामित्व के आधार पर
  • विकास के स्तर के आधार पर
  • स्मापयाता के आधार पर


उत्पत्ति के आधार पर संसाधनों को दो प्रकार से वर्गीकृत किया गया है। 

  • जैव संसाधन 
  • अजैव संसाधन

जैव संसाधन

                   जल संसाधन उन संसाधनों को कहते हैं जिनके प्राप्ति जीव मंडल द्वारा होती है जैसे मनुष्य वनस्पति जानवर मछली पशुधन आदि।

अजैव संसाधन

           वे सारे संसाधन जो  निर्जीव वस्तुओं से बने होते हैं, अजैव संसाधन कहलाते हैं उदाहरण चट्टान ,धातु  आदि

स्वामित्व के आधार

स्वामित्व के आधार पर संसाधनों को कई वर्गों में बांटा गया है स्वामित्व से ही हमें यह पता चल रहा है कि उस संसाधन पर किस का मालिकाना हक होगा यह कई प्रकार के होते हैं। 

  •  व्यक्तिगत संसाधन
  • सामुदायिक संसाधन
  • राष्ट्रीय संसाधन
  •  अंतरराष्ट्रीय संसाधन।


व्यक्तिगत संसाधन

                          ऐसे संसाधन जिनका स्वामित्व निजी हाथों में या किसी व्यक्ति विशेष के पास होता है उसे व्यक्तिगत संसाधन कहते हैं जैसे गांव में बहुत से लोग भूमि के स्वामी भी होते हैं और बहुत से लोग भूमिहीन होते हैं शहर में लोखंड घर व अन्य प्रकार की जायदाद के मालिक होते हैं बंगला तालाब कुआं या कोई क्षेत्र विशेष इन संसाधनों पर निजी व्यक्तियों का स्वामित्व भी होता है।और आप उसकी सहमति के बिना उसके निजी संपत्ति का उपयोग भी नहीं कर सकते जैसे हम बेवजह बिना किसी जानपहचान के  किसी के घर में नहीं जा सकते क्योंकि वह उसकी निजी संपत्ति है। 


सामुदायिक संसाधन

           बहुत से ऐसे संसाधन भी होते हैं , जिन पर समूह विशेष का मालिकाना हक होता है।सामुदायिक स्वामित्व वाले संसाधन सरकारी और गैर सरकारी अर्ध शासकीय किसी भी प्रकार के हो सकते हैं।उदाहरण के तौर पर नगरीय  क्षेत्रों के सार्वजनिक पार्क, पिकनिक स्थल, खेल के मैदान वहां रहने वाले सभी लोगों के लिए उपलब्ध है।

राष्ट्रीय संसाधन

                                   वैसे तो देश में पाए जाने वाले सारे संसाधन राष्ट्रीय संसाधन की श्रेणी में आते हैं देश की सरकार को कानूनन अधिकार है कि वह व्यक्तिगत संसाधनों को भी आम जनता के हित में अधिग्रहित कर सकती हैं आपने कई बार देखा होगा कि सड़के नहरे या कोई भी सरकारी प्रोजेक्ट के लिए सरकार जमीन अधिग्रहण करती है। किसी देश के सभी खनिज संपदा जलसंपदा वन वन्य जीव राजनीतिक सीमाओं के अंदर की भूमि और 12 समुद्री मील तक महासागरीय क्षेत्र में पाए जाने वाले संसाधन उस राष्ट्र की राष्ट्रीय संपदा कहलाती है।

अंतर्राष्ट्रीय संसाधन

            अंतर्राष्ट्रीय संसाधन उन संसाधनों को कहते हैं, जिस पर किसी एक देश का स्वामित्व नहीं होता है। कुछ अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं संसाधनों को नियंत्रित करती है खुले महासागरीय संसाधनों पर किसी देश का अधिकार नहीं इन संसाधनों को अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं की सहमति के बिना उपयोग नहीं किया जा सकता है।


समाप्यता के आधार

  समप्यता जैसे शब्द से ही हम समझ सकते हैं कि संसाधन जो किसी निश्चित समय के बाद समाप्त हो जाते हैं या कुछ संसाधन काम पुनः उपयोग कर लेते हैं ऐसे संसाधन को नवीकरण योग्य संसाधन और  अनवीकरण योग्य संसाधन किस श्रेणी में रखा गया है।यह 2 प्रकार से वर्गीकृत किए जा सकते है। 

  • नवीकरण योग्य संसाधन
  • अनवीकरण  योग्य संसाधन

नवीकरण योग्य संसाधन

                            ऐसे संसाधन जिन्हें भौतिक रासायनिक यह जानते क्रियाओं द्वारा नवी किया पुनः उत्पन्न किया जा सकता है उन्हें नवीकरण योग्य अथवा पुनर्प्राप्ति योग्य संसाधन कहा जाता है।जैसे सोल तथा पवन ऊर्जा जल  वन या वन्यजीव यदि इन संसाधनों को सतत तथा प्रवाह संसाधनों में विभाजित किया गया है इनके प्राप्ति हमें निरंतर होती रहती है। 


अनविकरण संसाधन

       इन संसाधनों का विकास एक लंबे भूवैज्ञानिक अंतराल में होता है।खनिज और जीवाश्म ईंधन इस प्रकार के संसाधनों के उदाहरण हैं इनके बनने में लाखो वर्ष लग जाते हैं इनमें से कुछ संसाधन जैसे धातुएं पुनः सक्रिय है और कुछ संसाधन जैसे जीवाश्म ईंधन चक्रीय है वह एक बार प्रयोग होने के बाद पुनः प्रयोग जो कि नहीं होते हैं।


विकास के स्तर के आधार पर

  इस प्रकार के संसाधनों को निम्न प्रकार से वर्गीकृत किया गया है,

  • संभवी संसाधन
  • विकसित संसाधन
  • भंडार
  • संचित कोष


संभावी संसाधन 

    यह वह संसाधन है जो किसी प्रदेश में विद्यमान होते हैं परंतु उनका उपयोग नहीं किया गया है उदाहरण के तौर पर भारत के पश्चिमी भाग में विशेष का राजस्थान और गुजरात में पवन और सौर ऊर्जा संसाधनों की अपार संभावना है परंतु इनका सही से उपयोग नहीं किया जा रहा है इस प्रकार के संसाधन में अपार संभावनाएं होती हैं जिन्हें संभावित संसाधन कहते हैं।


विकसित संसाधन

        वे संसाधन जिनका सर्वेक्षण किया जा चुका है और उनके उपयोग की गुणवत्ता और मात्रा निर्धारित की जा चुकी है, विकसित संसाधन कहलाते हैं।  संसाधनों का विकास प्रौद्योगिकी और की संभावनाओं पर निर्भर करता है।

भंडार

    पर्यावरण में उपलब्ध हुए पदार्थ जो मानव की आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकते हैं परंतु प्रौद्योगिकी के अभाव में उनकी पहुंच से बाहर है।

इसे इस प्रकार समझा जा सकता है। हम इसे इस प्रकार भी समझ सकते हैं की खाड़ी देशों में पेट्रोलियम के अपार भंडारण है जिसमें से कुछ ज्ञात है और कुछ अज्ञात,हालांकि हम इन पेट्रोलियम पदार्थों के बारे में नहीं जानते कि भविष्य में यह कब तक हमारी आवश्यकताओं की पूर्ति करते रहेंगे।

संचित कोष

    इस प्रकार के संसाधनों को भी भंडार या रिजर्व संसाधन कह सकते हैं जैसे हमारे पास अपार सौर ऊर्जा है परंतु हम उसका उपयोग नहीं कर पा रहे हैं इस प्रकार की ऊर्जा या संसाधनों का उपयोग करने के लिए उन्नत तकनीकी का उपयोग किया जाता है और भविष्य में हम और बेहतर तरीके से जल ऊर्जा वायु और सौर ऊर्जा जैसे संसाधनों का उन्नत तकनीकी से उपयोग कर पाएंगे।


Environment and natural resources in hindi , environment and natural resources class 12 notes in hindi





                          

                      


एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने