देशभर में आज रात और सोमवार तड़के उल्का पिंडों की बौछार से आकाश जगमगा उठेगा। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) की एक रिपोर्ट के अनुसार पीक ऑवर्स के दौरान प्रति घंटे में 120 जेमिनीड उल्कापिंडों को देखा जा सकता है।‘जैमिनिड’ के नाम से जानी जाने वाली उल्का पिंडों (Meteor) की यह बौछार 13 दिसंबर की रात को चरम पर होगी। यह वर्ष की सबसे बड़ी उल्का पिंड बौछार होगी. उन्होंने कहा कि अगर आसमान में परिस्थितियां अनुकूल रहती हैं, तो जेमिनिड उल्का पिंड बौछार को भारत के हर हिस्से से देखा जा सकेगा।
उल्कापिंड (meteorite) किसे कहते हैं?
आकाश में कभी-कभी एक ओर से दूसरी ओर अत्यंत वेग से जाते हुए अथवा पृथ्वी पर गिरते हुए जो पिंड दिखाई देते हैं, उन्हें उल्का और साधारण बोलचाल में 'टूटते हुए तारे' अथवा 'लूका' या उल्का कहते हैं ।अंतरिक्ष में भ्रमण करते समय क्षुद्रग्रह अक्सर एक दुसरे से टक्कर करते रहते हैं और टक्कर के दौरान ही छोटे-छोटे अवशेषों में टूट जाते हैं। ये इस रूप में भ्रमण करते हैं, जैसे की सौर प्रणाली के अंग हों. उल्लेखनीय है की उल्काओं का जो अंश वायुमंडल में जलने से बचकर पृथ्वी तक पहुँचता है उसे उल्कापिंड कहते हैं।
अधिकांश उल्कापिंड (meteorite) चट्टानी संरचना के बने होते हैंऔर आकर में अत्यंत छोटे होते हैं। अधिकांशत: लोहे, निकल या मिश्रधातुओं से बने होते हैं, और कुछ सिलिकेट खनिजों से बने पत्थर सदृश होते हैं। कभी-कभी इनका आकार एक बास्केटबॉल से भी बड़ा होता है।इनकी संरचना में विविधता पाई जाती है ,जिसकी वजह से उल्कापिंडों का वर्गीकरण उनके संगठन के आधार पर किया जाता है। कुछ पिंड धात्विक और कुछ आश्मिक उल्कापिंड कहे जाते हैं।. इसके अतिरिक्त कुछ पिंडों में धात्विक और आश्मिक पदार्थ प्रायः सामान मात्र में पाए जाते हैं, उन्हें धात्वाश्मिक उल्कापिंड कहते हैं।
उल्कापिंड (meteorite) कहाँ से आते हैं ?
धूमकेतु (Comet)
सोर मंडल के छोर पर बहुत ही छोटे -छोटे अरबो पिंड उपस्थित हे , जिन्हे हम धूमकेतु या पुच्छल कहते हे। comet शब्द ग्रीक भाषा के शब्द kometes से बना हे जिसका मतलब बालों वाला (hairy one) होता हैजिससे इनका नाम धूमकेतु या पुच्छल तारा पड़ा। यह धूल ,चट्टान और जमी हुई गैसों और पानी से बने होते हे। सूर्य के समीप आने पर गर्मी के कारण इंमेजामीहुई बर्फ और गैसेस पिघलकर एक पूंछ Tail का रूप ले लेती हे।
जब सूर्य की रोशनी इस पूंछ पर पड़ती हे तो यह काफी चमकदार नजर आती हे। प्रत्येक धूमकेतु एक निश्चित समय पर पृथ्वी नजर से आता हे। हैली धूमकेतु का परिक्रमण काल 76 वर्ष है, यह अन्तिम बार 1986 में दिखाई दिया था। अगली बार यह 1986 + 76 = 2062 में दिखाई देगा। हालांकि कॉमेट के केवल बहुत छोटे आकर को ही हम उल्का पिंड की श्रेणी में रखते हैं।
क्षुद्र ग्रह (Asteroids)
meteoroids , meteoroids in hindi , asteroid , asteroid belt ,comet, comet in hindi , Meteor shower , Geminid Meteor Shower 2020
👌👌👌👌👌👌👌
जवाब देंहटाएं