क्या सच में लॉक डाउन फायदा होगा देश को ?

 क्या  सच में लॉक डाउन  फायदा होगा देश को ?

 हम सभी एक बात कह रहे हैं, कि अमेरिका इटली ब्रिटेन फ्रांस यूके इन सभी की स्वास्थ्य सेवाएं बहुत अच्छी है। फिर भी वहां पर बहुत ज्यादा कोरोनावायरस के मामले सामने आ रहे हैं, अमेरिका में 125000 इटली में 90000 से ज्यादा मामले आ चुके हैं ।भारत में लगभग 1000 तो क्या भारत में बेहतर स्थिति है? एक दूसरे नजरिए से देखा जाए तो इन देशो की स्वास्थ्य सेवाएं अच्छी है, वहां पर अधिक से अधिक लोगों को कोरोना जांच हुई है, इसीलिए इतने मामले सामने आए भारत की आबादी 130 करोड़ है, और उसके मुकाबले यहां क्षमता बहुत कम है टेस्ट करने की।

 पूरी दुनिया में कोरोनावायरस के अब तक कुल 683640 आ चुके हैं जिसमें से 25144 की मृत्यु हो चुकी है। ऐसा नहीं है कि केवल लोग मर ही रहे हैं। 146300 लोग अभी तक पूरी दुनिया में इससे रिकवर हुए हैं ठीक हो चुके है। अभी भी पूरी दुनिया में 505100 लोगों का इलाज चल रहा है। कोरोना वायरस जहां से फैला था उसके बारे में तो सभी जानते हैं चीन के वुहान शहर सबसे पहला इसका गढ़ था उसके बाद ईरान और इटली में तबाही मचाने के बाद अभी अमेरिका में सबसे ज्यादा कोरोना वायरस के मामले आए हैं। अगर आंकड़ों पर नजर डालें तो चीन जहां पर सबसे पहले यहां फैला था, वहां 81439 कुल मामले अभी तक आए हैं। जिसमें से 3300 लोगों की मृत्यु हुई है, आज 45 नए केस सामने आए। उसके बाद ईरान में 38309 लोग इसकी चपेट में आए हैं, और 2640 लोगों की मृत्यु हो गई थी। परंतु इटली में 92472 लोग इस वायरस की चपेट में आ चुके हैं, और 10000 से ज्यादा लोग मर चुके हैं, जो कि दुनिया में सबसे ज्यादा मौतों का आंकड़ा है। स्पेन में भी 71730 वायरस की चपेट में आए हैं, जहां 6528 लोगों की मृत्यु हुई है। आज एक ही दिन में सबसे ज्यादा मामले 58240 भी स्पेन में आए  हैं, तथा 500 से ज्यादा लोगो की मौत आज हुई है। जर्मनी में 58247 कुल केस आ चुके हैं, 500 से ज्यादा आज नए के साए तथा कुल 455 लोगों की मृत्यु हुई अब तक। यूके में 19524 अभी तक कुल मामले सामने आ चुके हैं, आज एक ही दिन में 2433 नए केस सामने आए कुल 1228 लोगों की मृत्यु हो गई अभी तक। हम आसानी से निपट लेंगे और इस वायरस को बहुत ही हल्के में लेने वाले मिस्टर डोनाल्ड ट्रंप का देश अमेरिका जहां सबसे ज्यादा 123028 अभी तक संक्रमण के वहां मामले सामने आ चुके हैं। टोटल मृत्यु की बात करें तो 2229 अमेरिका में हो चुकी है। विकासशील या गरीब देश ब्राजील जहां अभी तक 3904 मामले आ चुके हैं, और 170 लोगों की मौत हो गई। मलेशिया में 2470 लोग संक्रमित हुए 35 मौत हुई । पाकिस्तान में 1526 मामले  आ चुके हैं,13 लोगों की मौत हुई है। फिलीपींस में 1418 लोग संक्रमित हुए हैं तथा 71 लोगों की मृत्यु हुई। इंडोनेशिया में 1285 लोगों तक संक्रमित हुए हैं, आज कुल 130 नए मामले आए, तथा 114 लोगों की मृत्यु हुई  साउथ अफ्रीका 1187  लोग संक्रमित हुए हैं तथा एक व्यक्ति की मृत्यु हुई। हमारे देश भारत में अभी तक 1000 से ज्यादा लोग संक्रमित हुए हैं, व 25 लोगों की मृत्यु हुई है। मेक्सिको 848 संक्रमित  हुए हैं। यह वह देश है जो विकासशील है जिनकी  स्वास्थ्य सेवाएं उतनी उन्नत नहीं है, जितनी  कि अमेरिका ब्रिटेन फ्रांस जर्मनी इटली की है।


 

अब सवाल यह उठता है, की 130 करोड़ की आबादी में 1000 मामले होना यह हमारी कामयाबी है या या चूक अब बात यदि निष्पक्षता और खुद की महानता का झुटा बखान करने से फुर्सत मिले तो वास्तविक हकीकत की  बात करें। अभी भी हमारी क्षमता कोरना टेस्ट करने की बहुत कम है , अगर क्षमता को बढ़ाया जाए व अधिकतर लोगों का टेस्ट किया जाए तो यह आंकड़े बहुत ज्यादा बढ़ सकते हैं, हमें तो वास्तव में यह भी नहीं पता कि भारत में वास्तविक रूप से कितने लोग इस वायरस से पीड़ित है। जिस प्रकार से देखने में आ रहा है, कि 1947 के बाद दूसरा सबसे बड़ा प्रवास जो कि देश के अंदर ही हो रहा है बहुत ही भयानक डरावनी स्थिति की कल्पना करने के लिए काफी है। पूरे देश के अलग अलग हिस्सों में हजारों की तादाद में लोग फंसे हैं और वह अपने अपने गंतव्य तक जाने के लिए परेशान हो रहे, लोग पैदल ही चलने लगे है बहुत ही हृदय विदारक तस्वीरें सामने आ रही  है। लोग कई दिनों से भूखे भी हैं, परंतु कहीं ना कहीं हम यहां चूक गए 130 करोड़ लोग घरों में बंद है यदि उनमें से एक लाख भी इधर से उधर होते है, तो 130 करोड़ लोगों की मेहनत का कोई अर्थ नहीं। हां मुझे भी फिक्र होती है, उन लोगों से जो कि घर से दूर है, फंसे हुए हैं, भूखे हैं ,परंतु शासन और प्रशासन दोनों को यहां पर सख्ती से लोक डाउन को लागू करना चाहिए था। जो लोग जहां है, उनके लिए कम्युनिटी हॉल में व्यवस्था करनी चाहिए थी, उनके भोजन की व्यवस्था करनी चाहिए थी, हम इतने सक्षम हैं। पूरे भारत में स्कूल बंद है, कम्युनिटी हॉल  धर्मशालाएं है, जहां लाखों की तादाद में ऐसे प्रवासी नागरिकों को हम शरण दे सकते थे। थोड़ी तकलीफ होती उन लोगों को भी परंतु यहां सकती थोड़ी सख्ती आवश्यक भी थी। देश की भलाई के लिए और दिल्ली में जिस तरह  भीड़ थी उन्हें देखकर भविष्य की भयानक तस्वीर नजर आती है संभव है, कि उनमें से कई लोग एक व्यक्ति भी यदि कोरोना पॉजिटिव होता है, तो वह हजारों में फैला देगा वही हजार लाखों में एक जब वही लाखों लोग एक जगह से दूसरी जगह तक जाएंगे तो यह संख्या करोड़ों तक जाएगी और हमें पता भी नहीं चलेगा। क्योंकि हमारे पास इतने संसाधन ही नहीं है, कि हम इतने लोगों की जांच करें, क्योंकि यहां सारा खेल केवल आंकड़ों का ही है। वास्तविकता कुछ और ही होती है। हमारे देश की भी वास्तविकता कुछ और ही है, और हम अब भी आंकड़ों में फंसे हुए आंकड़े देकर खुश हो सकते हैं, कि भारत में 1000 आंकड़े अमेरिका में एक लाख से ऊपर लोग कोराना पॉजिटिव है, नहीं अमेरिका की स्वश सेवाएं बहुत उन्नत है उन्होंने अधिक से अधिक लोगों की कोरोना जांच की इसलिए अधिक लोगो का पता चला।ऐसा नहीं है कि करीब देशों में यह बीमारी कम फैली है और विकसित और मजबूत देशों में ही ज्यादा फैली है जहां पर हमें इस कटु सत्य को स्वीकार करना होगा कि जो विकसित देश थे उन्होंने अपने स्वास्थ्य सेवाओं का उपयोग करके अधिक से अधिक लोगों के संक्रमण का पता लगाया। जबकि अन्य देश जैसे भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश ,लीबिया , अल्जीरिया नाइजर जैसे अफ्रीकी देश और  ब्राजील और दक्षिण अमेरिकी देश वहां पर इसके मामले बहुत कम देखने को मिल रहे है। स्वाभाविक सी बात है, अगर इनमें निष्पक्ष रूप से बात करें तो यहां पर स्वास्थ्य सेवाओं और अर्थव्यवस्थाओं में पिछड़े देशों में मामले काफी कम है। अब यहां पर वायरस ने तो यह नहीं सोचा होगा, कि अमीर देशों को ही निशाना बनाना है, और गरीब देशों को नहीं। वास्तविकता के इस पहलू पर भी हमें थोड़े ध्यान से विचार करना होगा। भारत में एक जगह से दूसरी जगह तक जाने वाले लोगों के जांच की कोई व्यवस्था नहीं। हमें आंकड़ों में ना उलझते हुए हमें अपनी गलती सुधार लेना चाहिए वक्त रहते।


 अभी हमारे पास समय है, सभी राज्यों और जिलों की सीमाएं पूरी तरह से बंद कर दी जाए तथा जो जहां है उसे वही रखा जाए। अन्यथा लोक डाउन केवल एक मजाक बनकर रह जाएगाज और जो लोग पलायन कर रहे हैं । उनके लिए जिला स्तर पर उपर्युक्त योजना बनाकर उनकी मदद की जाए सरकारी स्कूल कॉलेज में उन्हें ठहराया जा सकता है। उनके स्वास्थ्य की जांच की  नियमित जांच की जाए उनके खाने-पीने की व्यवस्था की जाए। हमें करना ही पड़ेगा अगर राजनेता  वोट बैंक के रूप में इन लोगों को देखेंगे तो शायद कोई वोट देने लायक कोई बचेगा ही नहीं।

Comme

1 टिप्पणियाँ

और नया पुराने