बिग बैंग थ्योरी और ब्रह्माण्ड का जन्म।


बिग बैंग  थ्योरी  और ब्रह्माण्ड का जन्म

बिग बैंग सिद्धांत के आरंभ का इतिहास आधुनिक भौतिकी में जॉर्ज लेमैत्रे ने लिखा हुआ है।  उनका यह सिद्धान्त अल्बर्ट आइंसटीन के प्रसिद्ध सामान्य सापेक्षवाद के सिद्धांत पर आधारित था। आइये आज हम समझते हे ,की  कैसे लगभग 13 अरब वर्ष पूर्व एक छोटे से कण में विस्फोट के कारण ब्रह्मांड की रचना हुई। 

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मानव सभ्यता में विकाश के  साथ - साथ हमारे अस्तित्व और ब्रह्माण्ड से रहस्य  से जुड़े बहुत से प्रश्न हमेशा हमारे मन में रहते हे,  जिनमे से अधिकांश प्रश्नो का जवाब आज  भी हमारे पास नहीं है।  उन्हें में से एक प्रश्न है , ब्रह्माण्ड का रहस्य।  प्राचीन  ब्रह्माण्ड की उतपत्ति उसके विस्तार को लेकर बहुत सी मान्यताएं अलग अलग सभ्यताओं  अलग-अलग  है। परन्तु जबसे हमने विज्ञान  क्षेत्र में उन्नती की है तब से ब्रह्मांड को देखने का हमारा नजरिया भी बदला है। 



ब्रह्मांड की उत्पत्ति का रहस्य प्राचीन भारतीय दार्शनिकों के साथ-साथ विश्व की लगभग सभी सभ्यताओं ने अलग-अलग समय पर ब्रह्मांड की उत्पत्ति एवं विकास के सिद्धांत प्रतिपादित किए।भारतीय दार्शनिकों एवं वैज्ञानिकों ने राज्य सिद्धांतों के अनुसार पृथ्वी जल अग्नि वायु एवं आकाश पांच महाभूतों  को बहुत पहले इस ब्रह्मांड के निर्माण के लिए आवश्यक तत्व बताया।जबकि यूनानी दार्शनिक एवं वैज्ञानिक आकाश को छोड़कर उपयुक्त चार पदार्थ पृथ्वी, जल  अग्नि एवं वायु को एक ब्रह्मांड के पदार्थों की संरचना का आधार मानते थे।आधुनिक विज्ञान के विकास के साथ ही अणु - परमाणु एवं इसके निर्माण में प्रयुक्त अन्य कारणों की चर्चा लगभग 400 बीसी के आसपास शुरू हुई।अत्यधिक विकसित तकनीक के इस युग में वैज्ञानिक परमाणु की संरचना को पूर्ण रूप से समझने में सफल हुए।



ब्रह्मांड की उत्पत्ति के संदर्भ में बिग बैंग थ्योरी  जिसे महा विस्फोट का सिद्धांत भी कहते हैं सबसे ज्यादा स्वीकार्य है। इस सिद्धांत के अनुसार ब्रह्मांड का जन्म लगभग 13 अरब  वर्ष पूर्व सूक्ष्म कण देश में अत्यधिक घनत्व व दाब   होने की वजह से विस्फोट हुआ, जिसे हम महा विस्फोटक सिद्धांत कहते हैं। इस विस्फोट के फल स्वरुप ब्रह्मांड का जन्म हुआ और तब से ही ब्रह्मांड लगातार फैल रहा है जिसके फलस्वरूप आकाशगंगाए तेजी से एक दूसरे से दूर  जा रही है।


महा विस्फोट के शुरू में ब्रह्माण्ड एक सूक्ष्म  एवं सामूहिक रूप से अत्यधिक घनत्व एवं ऊर्जा से भरपूर तथा अत्यधिक तापमान वाला कण था। ब्रह्माण्ड  धीरे-धीरे फैलता गया और जैसे-जैसे यह फैलता जा रहा है यह ठंडा होता जा रहा है।  इस प्रक्रिया को हम इस प्रकार समझ सकते हैं जैसे कोई गर्म कोयले का टुकड़ा धीरे-धीरे ठंडा होता जाता है।
परंतु कोयले के गर्म  से ठंडा होने और ब्रह्मांड के ठंडे होने में अंतर इतना है कि ब्रह्मांड के इस प्रक्रिया में ब्रह्माण्ड के मूल कणों एवं इसके अन्य रूपों में परिवर्तन की प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है।

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                                  बिग बैंग सिद्धांत के आरंभ का इतिहास आधुनिक भौतिकी में जॉर्ज लेमैत्रे ने लिखा हुआ है।  उनका यह सिद्धान्त अल्बर्ट आइंसटीन के प्रसिद्ध सामान्य सापेक्षवाद के सिद्धांत पर आधारित था। जैसा कि हमने उपरोक्त पेराग्राफ  में  भी चर्चा की थी कि कैसे लगभग 13 अरब वर्ष पूर्व एक छोटे से कण में विस्फोट के कारण ब्रह्मांड की रचना हुई जब से  इसका फैलाव  आज भी जारी।जिसके चलते ब्रह्मांड आज भी फैल रहा है इस धमाके में अत्यधिक ऊर्जा का उत्सर्जन हुआ यह ऊर्जा इतनी अधिक थी जिसके प्रभाव से आज तक ब्रह्माण्ड फैलता  ही जा रहा है।सारी भौतिक मान्यताएं इस एक ही घटना से परिभाषित होती है जिसे बिग बैंग सिद्धांत कहा जाता है। महा विस्फोट की इस घटना के मात्र 1.4 सेकेंड के अंतराल के बाद स्पेस और टाइम जैसी अवधारणाएं अस्तित्व में आ चुकी थी। 1.34  वें सेकेंड में ब्रह्मांड कई   गुणा फैल चुका था और क्वार्क, लैप्टान और फोटोन का गर्म द्रव्य बन चुका था। 1.4 सेकेंड पर क्वार्क मिलकर प्रोटॉन और न्यूट्रॉन बनाने लगे और ब्रह्मांड अब कुछ ठंडा हो चुका था। हाइड्रोजनहीलियम आदि के अस्तित्त्व का आरंभ होने लगा था और अन्य भौतिक तत्व बनने लगे थे।

  

वीडियो स्त्रोत - नासा 


महाविस्फोट सिद्धांत दो मुख्य धारणाओं पर आधारित होता है। पहला भौतिक नियम और दूसरा ब्रह्माण्डीय सिद्धांत। ब्रह्माण्डीय सिद्वांत के मुताबिक ब्रह्मांड सजातीय और समदैशिक (आइसोट्रॉपिक) होता है। 1964  में ब्रिटिश वैज्ञानिक पीटर हिग्गस ने महाविस्फोट के बाद एक सेकेंड के अरबें भाग में ब्रह्मांड के द्रव्यों को मिलने वाले भार का सिद्धांत प्रतिपादित किया था, जो भारतीय वैज्ञानिक सत्येन्द्र नाथ बोस के बोसोन सिद्धांत पर ही आधारित था। इसे बाद में 'हिग्गस-बोसोन' के नाम से जाना गया। इस सिद्धांत ने जहां ब्रह्मांड की उत्पत्ति के रहस्यों पर से पर्दा उठाया, वहीं उसके स्वरूप को परिभाषित करने में भी मदद की।


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