दुनिया भर में कोरोनावायरस Covid-19 होने वाली मौतों का विश्लेषण।


दुनिया भर में कोरोनावायरस Covid-19 होने वाली मौतों का विश्लेषण।


कोरोना वायरस से फिलहाल चीन तो उभर चुका है, पिछले 1 हफ्ते से वहां नए आने वाले संक्रमण के मामलों में मामूली वृद्धि हुई है। कुल मिलाकर अभी वहां करीब 80 हजार के करीब मामले थे, जिनमें से करीब 76000 लोग ठीक हो चुके हैं। वही 3500 के करीब लोगों की मृत्यु हुई है। अमेरिका में जहां यह वायरस सबसे ज्यादा तबाही मचा रहा है। वहां मौजूदा  दौर में अब तक 1 लाख 64 हजार से ज्यादा संक्रमण के मामले सामने आ चुके है। 3000 से ज्यादा लोगों की मृत्यु हो चुकी अगर पूरी दुनिया की बात करें तो करीब 8लाख 55 हजार लोग इस वायरस से संक्रमित हो गए हैं। देखते हैं, जिन लोगों की मृत्यु हुई और जिन देशों में यह संक्रमण अधिक फैला उसके बारे में थोड़ा विश्लेषण करते हैं।

अधिक तापमान में यह वायरस क नहीं रहता-
                                                            जिन भी देशों में इस वायरस के फैलने की दर सर्वाधिक है, वहां पर तापमान बहुत कम रहता है वह सारे के सारे देश उत्तरी गोलार्ध में करीब 40 डिग्री उत्तर में स्थित है जहां तापमान बहुत कम रहता है यूरोप में मार्च में तापमान करीब 10 डिग्री के लगभग रहता है तो वहीं अमेरिका में औसत तापमान 12 डिग्री के लेता है वहीं भारत में इस समय औसत तापमान करीब 30 डिग्री है निश्चित तौर पर तो नहीं पर हां तापमान बढ़ने के साथ-साथ इस वायरस के फैलने की दर भी कम
हो सकती है।


स्त्रोत - worldometer, who

अधिक उम्र वालों के लिए ज्यादा घातक है यह वायरस -
 
फिलहाल कोरोनावायरस से करीब 8 लाख लोग संक्रमित हो चुके हैं। जिन लोगों की मृत्यु हुई है, इस वायरस की चपेट में आने के बाद अधिकतर वह लोग है जो लगभग 60 वर्ष से अधिक उम्र के हैं । कोरोनावायरस से प्रभावित लोगों को 2 कैटेगरी में रखा जा सकता है। पहले माइल्ड जिसे सामान्य कह सकते हैं, इसके अंतर्गत संक्रमित व्यक्ति के ठीक होने की संभावना अधिक होती है। दूसरी कैटेगरी होती है, सीरियस जिसके अंतर्गत व्यक्ति की मृत्यु दर अधिक होती है। उपरोक्त आंकड़ों से यदि हम देखें तो माइल्ड कंडीशन जिसमें ठीक होने की संभावना अधिक होती है, वह 60 से कम उम्र के लोग हैं। तथा सीरियस कंडीशन में वह लोग अधिकतर है, जो 60 से अधिक उम्र के है, साथ ही साथ ऐसे लोग भी जो किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं, खासकर गले से संबंधित बीमारी, डायबिटीज, कैंसर इन लोगों के लिए यह वायरस घातक रूप ले लेता है।

विभिन्न देशों में 60 से अधिक उम्र के लोगों का प्रतिशत तथा संक्रमण और मृत्यु के आंकड़े ( स्त्रोत who, world bank)

अभी तक सर्वाधिक मौतें इटली में हुई है, यह आंकड़ा इटली में करीब ग्यारा हजार के लगभग है। यदि हम इटली में जनसंख्या समूह कि बात करें तो लगभग 23 %जनसंख्या 65 वर्ष से ज्यादा है। स्पेन में भी करीब 8000 मृत्यु हो गई जहां पर 65 वर्ष से अधिक लोगों की संख्या करीब 19% है। जैसा कि हम देख रहे हैं कि चीन में कुल 80000 से ज्यादा कोरोनावायरस के मामले सामने आए थे जिनमें से साढे 3000 लोगों की मृत्यु हो गई थी और करीब 76000 से अधिक लोग स्वस्थ हो गए आइए नजर डालते हैं चीन के इस ग्रुप पर कहने को चीन की जनसंख्या सर्वाधिक है करीब एक अरब 45 करोड़ के लगभग परंतु चीन में 10% लोग ही है जिनकी उम्र 65 वर्ष से अधिक है दूसरा चीन के लोग हार्डवर्किंग होते हैं जिससे कि उनका इम्यून सिस्टम मजबूत है।


स्त्रोत - worldometer,who


प्री मेडिकल कंडीशन -
                                  कार्डिवोस्कुलर डिसिस अर्थात गले से संबंधित रोग अधिकतर मरने वाले लोग पहले से ही इससे पीड़ित थे, जो की  करीब 13% लोग है। वही डायबिटीज से पीड़ित  कन्फर्म केस 9% होते हैं क्रॉनिक री डिसिस अर्थात से सांस से संबंधित बीमारी। हाइपरटेंशन  ब्लड प्रेशर की प्रॉब्लम हो ऐसे कैस करीब 8% से अधिक थे और कैंसर वाले मरीज करीब 7.6% इससे हम यहां अंदाजा लगा सकते हैं, कि जो लोग पहले से ही गंभीर रूप से किसी बीमारी से पीड़ित है। इस वायरस की वजह से उनकी जान को ज्यादा खतरा है, चाहे वो किसी भी उम्र समूह के क्यों ना हो। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड  कह चुके हैं, कि अमेरिका में करीब 2 लाख लोगों की मृत्यु हो सकती है, इसका कारण हम जान सकते हैं, कि वहां पर डायबिटीज और कैंसर के मरीज ज्यादा है, जिसमें अधिकांश युवा है। तथा बुजुर्गों की संख्या में 15% है जो कि 65 वर्ष से अधिक है।
पूरी दुनिया में अभी तक 8 लाख 50 हजार के लगभग लोग इससे पीड़ित हो गए हैंजिनमे से 1लाख 74 हजार लोगो को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है ।वहीं 42000 लोगो की मृत्य हो गई। अगर हम आंकड़ों की बात करें तो करीब 6 लाख 35 हजार से अधिक केस अभी एक्टिव है, जिनमें से 32 हजार सीरियस कैटेगरी में और करीब 6 लाख 30 हजार माइल्ड कैटेगरी में है या कम खतरनाक अवस्था जिनके ठीक होने की संभावना अधिक है। इस हिसाब से इस बीमारी से संक्रमित लोगों के ठीक होने की संभावना 80% है और मृत्यु की संभावना 20% है। यदि कोविड -19 से पीड़ित व्यक्ति की उम्र 65 वर्ष से अधिक ना हो या वह किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित ना हो तो उसके ठीक होने की संभावना 80% से अधिक है।

तो क्या 65 से कम उम्र वालों को कोई खतरा नहीं-
                                                                        अधिकांश युवाओं का इम्यून सिस्टम रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होती है जो इस वायरस से संक्रमित होने पर भी अपने आप ठीक होने की क्षमता रखते हैं परंतु यह और भी ज्यादा खत्म होगा मान लीजिए अगर कोई स्वस्थ व्यक्ति जिसकी उम्र 35 वर्ष है वह संक्रमित हो जाता है और उसके घर में उसके बुजुर्ग मां-बाप है तो वह संक्रमण उसके माता-पिता को हो जाएगा और उनके लिए वह खातरनक होगा  भले ही उस युवक को कुछ ना हो अतः लॉक डाउन इसीलिए क्या गया है ताकि सभी लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके क्योंकि यह वायरस कम्युनिटी ट्रांसफर के जरिए बहुत तेजी से फैलता है कई बार तो आपको पता भी नहीं चलता कि आप इस वायरस के वाहक बन गए हैं।

तो क्या भारत वाकई अच्छी स्थिति में है-
                                                    अभी तक के आंकड़ों पर यदि नजर डालें तो भारत में कुल 1200 कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों के मामले आए हैं। वही अगर बात करें तो कुल 35 लोगो की इस वायरस की चपेट में आकर मृत्यु हुई है। भारत में जिन लोगों की मृत्यु हुई है, वह या तो 65 से अधिक उम्र के थे, या जिन्हें पहले से ही कोई गंभीर बीमारी थी। भारत की स्थिति इसलिए भी बेहतर कह सकते हैं, क्योंकि भारत में 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों की जनसंख्या भारत की कुल जनसंख्या का 6 प्रतिशत ही है।

भारत में 72 साल से बीसीजी के जिस टीके का इस्तेमाल हो रहा है, उसे दुनिया अब कोरोना से लड़ने में मददगार मान रही है। न्यूयॉर्क इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के डिपार्टमेंट ऑफ बायोमेडिकल साइंसेस की स्टडी के मुताबिक, अमेरिका और इटली जैसे जिन देशों में बीसीजी वैक्सीनेशन की पॉलिसी नहीं है, वहां कोरोना के मामले भी ज्यादा सामने आ रहे हैं और मौतें भी ज्यादा हो रही हैं। वहीं, जापान और ब्राजील जैसे देशों में इटली और अमेरिका के मुकाबले मौतें फिलहाल कम हैं।

भारत में 130 करोड़ लोग रहते है, ओर अधिक घनत्व वाले देश में लापरवाही घातक सिद्ध हो सकती है, क्योंकि यदि भारत में कम्युनिटी ट्रांसफर होता है, तो अधिक लोगों के इस वायरस से संक्रमित होने का खतरा बढ़ जाएगा। जो की बहुत ही घातक होगा, इसे रोकने के लिए लॉक डाउन का कड़ाई से पालन आवश्यक है। हम सब इमानदारी से लॉक डाउन का पालन करें  मेंअतः घरों रहिए स्वस्थ रहिए, अपना कीमती समय परिवार के साथ गुजारिए चिंता करने की आवश्यकता नहीं है, सावधानी रखना आवश्यक है।


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