हम इतने उदास क्यों है?
एक कहावत है कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है।पर आखिर हम क्या पाना चाहते थे? लाख जतन करते हैं जिंदगी में हम भागदौड़, काम ,पैसा, शोहरत,नाम पर यह सब क्यों करते हैं? ताकि हम जिंदगी अच्छे से जी सके पर क्या यह सब मिलने के बाद भी हम खुश रह पाते हैं?न बिल्कुल नहीं यह केवल आपको भौतिक सुख तो दे सकते हैं,पर मानसिक सुख नहीं आखिर इतने दिन हो गए लॉक डाउन को और हमने ऐसा क्या हासिल कर लिया जो बेशकीमती है? हमने क्या पाया और क्या और कितनी कीमत चुकाई उसकी देखते है ।
कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के रूप में बहुत ही विकराल रूप धारण कर लिया है,और मानव जाति पर एक प्रश्न चिन्ह लगा दिया। लोग अपने घरों में बंद है पूरी तरह से पूरी दुनिया स्लीप मोड में चली गई है। इतिहास में यह समय विशेष रूप से कई बातो के लिए याद रखा जाएगा। जब सब कुछ थम सा गया था बस वक्त ही है, जो निकलता जा रहा है और इस निकलते वक्त के साथ साथ हमें वह चीजें देखने को मिल रही है, जिसकी कल्पना हमने कभी नहीं की थी।
मुझे याद है बचपन के वह दिन जब स्कूल की गर्मी की छुट्टी होते ही हम गांव की ओर रुख कर लेते थे। आखिर गंव में क्या था, ऐसा शहर की जिंदगी और हवा ऐसी थी तनाव के बिना जिंदगी की कल्पना करना मुश्किल है। तनाव का कारण क्या है, अब आप कहेंगे कि तनाव तो गांव में भी होता है।तो जरा सोचिए स्कूलों में पढ़ाया जाता है, ट्विंकल ट्विंकल लिटिल स्टार पर आज के बच्चे तारों की तस्वीर भी किताबों में देखते हैं, टीवी पर देखते हैं बहुत से बड़े शहर है जहां तारे देखना मुनाफिक नहीं आजकल के कुछ बच्चे तो ऐसे हैं जिन्होंने आज तक तारे ही नहीं देखे।गांव में रात की शीतलता तारों का टिमटिमाना अगर आपने नहीं देखा है तो आपने जिंदगी का बहुत ही हसीन पल को अनुभव नहीं किया। आज कई दिन हो गए लॉक डाउन को इस दौरान वातावरण में शुद्धता आई है, वह तो मीडिया से हमें पता चली जाती है परंतु क्या आपने उसे महसूस किया अगर आपने उसे महसूस नहीं किया। यकीनन आप उदास हो। मैं भी कई दिनों से घर पर हूं, बहुत ही तनाव महसूस कर रहा था, धीरे-धीरे जब यह अनुभव होने लगा और अब कि हवा में बहुत ही बदलाव आया।
अब इन सब का कारण क्या है, यह तो सभी जानते हैं कि लॉक्ड डाउन की वजह से पूरी दुनिया लगभग जाम हो चुकी है। हवाई जहाज एरोप्लेन रेल बस फैक्ट्रियां सब बंद है। गाड़ियां बाइक किसी भी प्रकार से प्रदूषण नहीं फैला रहे दूसरा सबसे बड़ा कारण है, धूल मिट्टी जब कहीं काम चलता है निर्माण का, तो उससे भी वातावरण प्रदूषित होता है, खनन कार्य से प्रदूषण होता है। यह सब आजकल बंद है, अब तो धरती भी कह रही होगी बस करो थोड़ा मुझे भी तो सांस लेने तो इतना छलनी कर दिया है तुमने थोड़ा तुम घर में आराम तो कर लो
अब क्योंकि यह कोरोना वायरस की लड़ाई हम सब की लड़ाई तो हमें सोशल डिस्टेंस इन का पालन करना अनिवार्य तो ऐसे में ले स्वास्थ्य लाभ के लिए क्या किया जाए आपको कहीं घूमने की जरूरत नहीं है छत पर जाइए धीरे धीरे सांस लीजिए उसे धीरे-धीरे छोड़िए उस समय ऐसा करिए आपका सारा तनाव भाग जाएगा प्रकृति ने हमें एक ऐसी चीज दी है जिसके बारे में हम केवल सोचा करते थे और केवल सोचा करते थे।कि क्या कभी हमें और हमारे आने वाली पीढ़ी को स्वच्छ हवा में सांस लेने का मौका मिलेगा पर यह हुआ है।हां हमें इसकी कीमत चुकाना पड़ी है, और कीमत यह कि हम अपनी आजादी को त्याग कर घरों में रहने को मजबूर है, कीमत यह कि हम एक अनिश्चित भविष्य की तरफ बढ़ चले और तनाव का कारण क्या है? भविष्य के बारे में सोचना ही है तनाव का कारण है, हम अनिश्चित भविष्य बारे में सोचने के बजाय आज वर्तमान को अनुभव करेंगे तो यकीनन यह अद्भुत अकल्पनीय होगा ।जहां पिछले 200 सालों में इतना प्रदूषण हुआ और वैश्विक संस्थाएं इस प्रदूषण को कम करने के लिए वैश्विक और युद्ध स्तर पर कार्य कर रही थी। अरबों खरबों रुपए इस धरती पर पर्यावरण संरक्षण जैव विविधता को बचाने ओजोन परत को बचाने के लिए खर्च किए हैं। और क्या किसी ने कल्पना की थी, कि यह सब कुछ महीनों में अपने आप ठीक हो जाएगा। हां हमने कीमत जरूर चुकाई है हमारी आजादी की हमारा भविष्य दांव पर कोई निश्चित नहीं। परंतु आज हम इस बारे में सोच तो सकते हैं,कि जब से हम इंसान इस धरती पर आए दिन-ब-दिन विकास के नाम पर हमने धरती को कबाड़खाना बना दिया अब थोड़ी कीमत चुकाना पड़ेगी फिलहाल हम खुश क्यों नहीं है जबकि हवा साफ हो गई है यमुना का प्रदूषण बहुत कम हो गया है पंजाब से हिमाचल की चोटियां दिखाई दे रही है।
हमारे देश के बारे में कहा जाता है, कि यहां की चिकित्सा व्यवस्था दुनिया में निम्नतम स्तर की है परन्तु, हम देख रहे हैं अमेरिका और यूरोप के देश बहुत ही ज्यादा तबाही की कगार पर खड़े। परंतु ऐसे में जो नेतृत्व चिंता हमारे प्रधानमंत्री जी ने दिखाई बहुत काबिले तारीफ है, क्योंकि प्रधानमंत्री का काम संसाधन उपलब्ध करवाना नीति बनाना ही नहीं जनता के बीच में भरोसा कायम करना भी आवश्यक है। क्योंकि ऐसे समय में सकारात्मक दृष्टिकोण से ही हम जीत सकते हैं बहुत से लोग हैं जो कर रहे हैं की थाली पीटने और दीए जलाने लाइट बंद करने से कोरोना खत्म नहीं होगा हां मैं भी जानता हूं क्योंकि मैं भी एक मैकेनिकल इंजीनियर हूं और ध्वनि तापमान के बारे में अच्छे से जानता हूं। दिए जलाने से कोई बीमारी खत्म नहीं होती पर उससे जो सकारात्मक दृष्टिकोण उत्पन्न हुआ एक पल के लिए पूरा देश एकसूत्र में बंध गया जो एकता हमने प्रदर्शित कि उसे से जो शक्ति मिली है जिसे हम विल पावर करते हैं। हमारे अंदर से उत्पन्न सकारात्मक ऊर्जा हमें इतना सक्षम बना देती है, कि हां हम लड़ सकते हैं हम सब भले ही घरों में ही है, परंतु बहुत सी ऐसी सुविधा है जो हमें लगातार मिल रही है, आपके घरों में बिजली की समस्या नहीं है नल रोज आ रहे हैं पानी की समस्या भी नहीं है न्यूज़पेपर आ रहा है डॉक्टर सबसे बड़े योद्धा के रूप में फ्रंट लाइन पर कोरोनावायरस से लड़ रहे हैं। पुलिस वाले मानवता के दुश्मनों से लड़ रहे हैं तो ऐसे में इन लोगों का हौसला बढ़ाने के लिए हम इतना तो कर ही सकते हैं। सकारात्मक दृष्टिकोण से कम से कम तनाव मुक्त मुक्त तो रह सकते हैं और जनता अगर पैनिक नहीं करेगी तो आधी समस्या अपने आप हल हो जाती है। हां अभी भी हमारा देश को कई चुनौतियों से जूझ रहा है
पूरी दुनिया लड़ रही है कोरोना महामारी से और ऐसे में हम भी हमारे नागरिक होने का कर्तव्य है निभाएं शासन और प्रशासन की बात को माने। तनाव से मुक्त रहना है तो घर में ही उस उस हवा को महसूस करें सुबह शाम योगा करना व्यायाम,क प्राणायाम करना काफी हद तक तनाव मुक्त करने में सहायक सिद्ध हो सकता है।
एक कहावत है कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है।पर आखिर हम क्या पाना चाहते थे? लाख जतन करते हैं जिंदगी में हम भागदौड़, काम ,पैसा, शोहरत,नाम पर यह सब क्यों करते हैं? ताकि हम जिंदगी अच्छे से जी सके पर क्या यह सब मिलने के बाद भी हम खुश रह पाते हैं?न बिल्कुल नहीं यह केवल आपको भौतिक सुख तो दे सकते हैं,पर मानसिक सुख नहीं आखिर इतने दिन हो गए लॉक डाउन को और हमने ऐसा क्या हासिल कर लिया जो बेशकीमती है? हमने क्या पाया और क्या और कितनी कीमत चुकाई उसकी देखते है ।
कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के रूप में बहुत ही विकराल रूप धारण कर लिया है,और मानव जाति पर एक प्रश्न चिन्ह लगा दिया। लोग अपने घरों में बंद है पूरी तरह से पूरी दुनिया स्लीप मोड में चली गई है। इतिहास में यह समय विशेष रूप से कई बातो के लिए याद रखा जाएगा। जब सब कुछ थम सा गया था बस वक्त ही है, जो निकलता जा रहा है और इस निकलते वक्त के साथ साथ हमें वह चीजें देखने को मिल रही है, जिसकी कल्पना हमने कभी नहीं की थी।
मुझे याद है बचपन के वह दिन जब स्कूल की गर्मी की छुट्टी होते ही हम गांव की ओर रुख कर लेते थे। आखिर गंव में क्या था, ऐसा शहर की जिंदगी और हवा ऐसी थी तनाव के बिना जिंदगी की कल्पना करना मुश्किल है। तनाव का कारण क्या है, अब आप कहेंगे कि तनाव तो गांव में भी होता है।तो जरा सोचिए स्कूलों में पढ़ाया जाता है, ट्विंकल ट्विंकल लिटिल स्टार पर आज के बच्चे तारों की तस्वीर भी किताबों में देखते हैं, टीवी पर देखते हैं बहुत से बड़े शहर है जहां तारे देखना मुनाफिक नहीं आजकल के कुछ बच्चे तो ऐसे हैं जिन्होंने आज तक तारे ही नहीं देखे।गांव में रात की शीतलता तारों का टिमटिमाना अगर आपने नहीं देखा है तो आपने जिंदगी का बहुत ही हसीन पल को अनुभव नहीं किया। आज कई दिन हो गए लॉक डाउन को इस दौरान वातावरण में शुद्धता आई है, वह तो मीडिया से हमें पता चली जाती है परंतु क्या आपने उसे महसूस किया अगर आपने उसे महसूस नहीं किया। यकीनन आप उदास हो। मैं भी कई दिनों से घर पर हूं, बहुत ही तनाव महसूस कर रहा था, धीरे-धीरे जब यह अनुभव होने लगा और अब कि हवा में बहुत ही बदलाव आया।
अब इन सब का कारण क्या है, यह तो सभी जानते हैं कि लॉक्ड डाउन की वजह से पूरी दुनिया लगभग जाम हो चुकी है। हवाई जहाज एरोप्लेन रेल बस फैक्ट्रियां सब बंद है। गाड़ियां बाइक किसी भी प्रकार से प्रदूषण नहीं फैला रहे दूसरा सबसे बड़ा कारण है, धूल मिट्टी जब कहीं काम चलता है निर्माण का, तो उससे भी वातावरण प्रदूषित होता है, खनन कार्य से प्रदूषण होता है। यह सब आजकल बंद है, अब तो धरती भी कह रही होगी बस करो थोड़ा मुझे भी तो सांस लेने तो इतना छलनी कर दिया है तुमने थोड़ा तुम घर में आराम तो कर लो
अब क्योंकि यह कोरोना वायरस की लड़ाई हम सब की लड़ाई तो हमें सोशल डिस्टेंस इन का पालन करना अनिवार्य तो ऐसे में ले स्वास्थ्य लाभ के लिए क्या किया जाए आपको कहीं घूमने की जरूरत नहीं है छत पर जाइए धीरे धीरे सांस लीजिए उसे धीरे-धीरे छोड़िए उस समय ऐसा करिए आपका सारा तनाव भाग जाएगा प्रकृति ने हमें एक ऐसी चीज दी है जिसके बारे में हम केवल सोचा करते थे और केवल सोचा करते थे।कि क्या कभी हमें और हमारे आने वाली पीढ़ी को स्वच्छ हवा में सांस लेने का मौका मिलेगा पर यह हुआ है।हां हमें इसकी कीमत चुकाना पड़ी है, और कीमत यह कि हम अपनी आजादी को त्याग कर घरों में रहने को मजबूर है, कीमत यह कि हम एक अनिश्चित भविष्य की तरफ बढ़ चले और तनाव का कारण क्या है? भविष्य के बारे में सोचना ही है तनाव का कारण है, हम अनिश्चित भविष्य बारे में सोचने के बजाय आज वर्तमान को अनुभव करेंगे तो यकीनन यह अद्भुत अकल्पनीय होगा ।जहां पिछले 200 सालों में इतना प्रदूषण हुआ और वैश्विक संस्थाएं इस प्रदूषण को कम करने के लिए वैश्विक और युद्ध स्तर पर कार्य कर रही थी। अरबों खरबों रुपए इस धरती पर पर्यावरण संरक्षण जैव विविधता को बचाने ओजोन परत को बचाने के लिए खर्च किए हैं। और क्या किसी ने कल्पना की थी, कि यह सब कुछ महीनों में अपने आप ठीक हो जाएगा। हां हमने कीमत जरूर चुकाई है हमारी आजादी की हमारा भविष्य दांव पर कोई निश्चित नहीं। परंतु आज हम इस बारे में सोच तो सकते हैं,कि जब से हम इंसान इस धरती पर आए दिन-ब-दिन विकास के नाम पर हमने धरती को कबाड़खाना बना दिया अब थोड़ी कीमत चुकाना पड़ेगी फिलहाल हम खुश क्यों नहीं है जबकि हवा साफ हो गई है यमुना का प्रदूषण बहुत कम हो गया है पंजाब से हिमाचल की चोटियां दिखाई दे रही है।
हमारे देश के बारे में कहा जाता है, कि यहां की चिकित्सा व्यवस्था दुनिया में निम्नतम स्तर की है परन्तु, हम देख रहे हैं अमेरिका और यूरोप के देश बहुत ही ज्यादा तबाही की कगार पर खड़े। परंतु ऐसे में जो नेतृत्व चिंता हमारे प्रधानमंत्री जी ने दिखाई बहुत काबिले तारीफ है, क्योंकि प्रधानमंत्री का काम संसाधन उपलब्ध करवाना नीति बनाना ही नहीं जनता के बीच में भरोसा कायम करना भी आवश्यक है। क्योंकि ऐसे समय में सकारात्मक दृष्टिकोण से ही हम जीत सकते हैं बहुत से लोग हैं जो कर रहे हैं की थाली पीटने और दीए जलाने लाइट बंद करने से कोरोना खत्म नहीं होगा हां मैं भी जानता हूं क्योंकि मैं भी एक मैकेनिकल इंजीनियर हूं और ध्वनि तापमान के बारे में अच्छे से जानता हूं। दिए जलाने से कोई बीमारी खत्म नहीं होती पर उससे जो सकारात्मक दृष्टिकोण उत्पन्न हुआ एक पल के लिए पूरा देश एकसूत्र में बंध गया जो एकता हमने प्रदर्शित कि उसे से जो शक्ति मिली है जिसे हम विल पावर करते हैं। हमारे अंदर से उत्पन्न सकारात्मक ऊर्जा हमें इतना सक्षम बना देती है, कि हां हम लड़ सकते हैं हम सब भले ही घरों में ही है, परंतु बहुत सी ऐसी सुविधा है जो हमें लगातार मिल रही है, आपके घरों में बिजली की समस्या नहीं है नल रोज आ रहे हैं पानी की समस्या भी नहीं है न्यूज़पेपर आ रहा है डॉक्टर सबसे बड़े योद्धा के रूप में फ्रंट लाइन पर कोरोनावायरस से लड़ रहे हैं। पुलिस वाले मानवता के दुश्मनों से लड़ रहे हैं तो ऐसे में इन लोगों का हौसला बढ़ाने के लिए हम इतना तो कर ही सकते हैं। सकारात्मक दृष्टिकोण से कम से कम तनाव मुक्त मुक्त तो रह सकते हैं और जनता अगर पैनिक नहीं करेगी तो आधी समस्या अपने आप हल हो जाती है। हां अभी भी हमारा देश को कई चुनौतियों से जूझ रहा है
पूरी दुनिया लड़ रही है कोरोना महामारी से और ऐसे में हम भी हमारे नागरिक होने का कर्तव्य है निभाएं शासन और प्रशासन की बात को माने। तनाव से मुक्त रहना है तो घर में ही उस उस हवा को महसूस करें सुबह शाम योगा करना व्यायाम,क प्राणायाम करना काफी हद तक तनाव मुक्त करने में सहायक सिद्ध हो सकता है।
Bahut sahi bat h sir sabhi ko follow kar na chahiye
जवाब देंहटाएंHa sahi he hum kak se kam ye kaam to kar hi sakte he ki ghar par yog,pranayam,thodi kasrat vagerah .jisse hume time bhi pta ni chalega or humari mansik or sharirik shakti bhi badegi.
जवाब देंहटाएंPositive thinking is important ..samsyae to hai par har chiz kaa samadhar mil hi jaata hai ...
जवाब देंहटाएंsahi BT hai
जवाब देंहटाएंsahi BT h....
जवाब देंहटाएंNice bhaiya bhot sahi kha apne
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